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बारिशों में त्वचा की देखभाल के आयुर्वेदिक टिप्स

बारिश का मौसम अत्यधिक नमी और त्वचा संबंधी बीमारियों के बढ़ते खतरे के लिए जाना जाता है। बारिश में त्वचा में सूखापन, खिचखिचापन और एलर्जी होना आम है। एक्जिमा, सोरायसिस, फंगल संक्रमण और अन्य संक्रमण जैसी त्वचा की बीमारियाँ भी अधिक आम होती है। कई लोग मानसून के दौरान त्वचा संबंधी समस्याओं से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपचार चुनते हैं। मानसून में त्वचा के स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक उपचार (skin care ayurvedic) जैसे की त्वचा की चमक के लिए हल्दी, मुँहासों के लिए नीम की पत्तियाँ, और टोनिंग के लिए गुलाब जल का उपयोग करना आवश्यक है।

मानसून में बारिश और उमस से त्वचा की सुरक्षा और देखभाल के लिए आयुर्वेदिक टिप्स

बरसात के दिनों में उमस और नमी का स्तर बढ़ने से त्वचा संबंधी कई तरह की समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। इसलिए मानसून के दौरान त्वचा की देखभाल करना महत्वपूर्ण है। आइए जानें कि आपको मानसून में त्वचा की देखभाल के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।

क्या न करें

  • मानसून के दौरान, तैलीय भोजन का सेवन कम करें, क्योंकि इसे पचाना मुश्किल होता है और इससे आपकी त्वचा भी तैलीय हो सकती है।
  • कच्ची, पत्तेदार सब्जियाँ, दही या फर्मेंटेड खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें ।
  • मानसून के दौरान कठोर साबुनों के उपयोग से त्वचा के प्राकृतिक तेल में कमी हो जाती है जिससे त्वचा सूखी और बेजान लगने लगती है। इसलिए बारिशों में त्वचा की नमी बनाये रखने वाले साबुन का प्रयोग करें।
  • स्ट्रांग क्लींजर जैसे कठोर उत्पादों को त्वचा पर न लगाएँ। यह आपकी त्वचा के प्राकृतिक तेल को छीन लेते हैं और सूखापन या जलन पैदा करते हैं।
  • चेहरे को बार-बार छूने से आपके हाथों से बैक्टीरिया त्वचा पर चले जाते हैं और त्वचा में संक्रमण या एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए बार बार चेहरे को छूने से बचें।
  • ऐसे जंक फूड का सेवन न करें जिनमें अधिक चीनी, अधिक तेल या अस्वास्थ्यकर तैलीय तत्त्व हो। यह एक्जिमा और मुँहासों को बढ़ाता है और सूजन को ट्रिगर करता है।

क्या करें

फेस स्टीमिंग

चमकती त्वचा के लिए चेहरे को स्टीम देना एक पारंपरिक तरीका है। सप्ताह में एक बार अपने चेहरे को भाप देने से आपके छिद्रों को खोलने में मदद मिलती है, जिससे त्वचा साफ़ होती है। बेहतर परिणाम के लिए पानी में त्रिफला या तुलसी मिलाकर भाप लें।

फेस वॉश

दिन में दो या तीन बार चेहरा धोने से त्वचा से अत्यधिक तेल हटाया जा सकता है। आयुर्वेदिक फेस केयर में चेहरे के लिए क्लींजर के रूप में गुलाब जल या बेसन, हल्दी और दूध के पेस्ट का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

अपनी आंतें साफ रखें

स्वस्थ आंतें त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है। पुनर्वसु की आरोग्यवर्धनी गुटिका आंतों और शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करती है।  

त्वचा की नमी बनाए रखें

मानसून के दौरान, अधिक पानी पीने से आपकी त्वचा से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है और यह हाइड्रेटेड रहती है। त्वचा के लिए आयुर्वेदिक उत्पादनों (ayurveda skin care products) का उपयोग करने से त्वचा की नमी कायम रहती हे और त्वचा को हानि नहीं होती।

सनस्क्रीन का प्रयोग करें

बादल वाले दिनों में भी, यूवी किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं। अपनी त्वचा को धूप से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सनस्क्रीन लगाएं।

क्लीन्सिंग

अशुद्धियों और अधिक तेल को हटाने के लिए, आपकी त्वचा को भीतर से साफ करना महत्वपूर्ण है। चेहरे की नमी बनाये रखने के लिए गुलाब जल का प्रयोग करें। कॉटन बॉल को गुलाब जल में भिगोकर धीरे-धीरे चेहरे पर लगाएं। चेहरा धोने के लिए गुनगुने पानी का उपयोग करें, क्योंकि यह त्वचा को शुष्क किए बिना त्वचा के प्राकृतिक तेल को संतुलित करने में मदद करता है।

मॉइस्चराइजिंग

मानसून वातावरण में नमी लाता है किन्तु हमारी त्वचा को शुष्क बनता है। आयुर्वेद के अनुसार बारिश में त्वचा को नमीयुक्त रखना महत्वपूर्ण है। इसके लिए नारियल तेल और बादाम तेल जैसे आयुर्वेदिक तेलों का चयन करें। ये तेल त्वचा को पोषण प्रदान करते हैं। यदि आपको एक्जिमा जैसी त्वचा की स्थिति है, तो आपको त्वचा को अधिक पोषण प्रदान करने की आवश्यकता है। इस स्थिति में सबसे अच्छा विकल्प आयुर्वेद जैसे हर्बल उपचार हैं (ayurveda skin care products) जिनसे एक्जिमा या इसी तरह की त्वचा की स्थिति से स्थायी राहत मिल सकती है। शुष्क और खुजली वाली त्वचा के लिए आप पुनर्वसु के करंज तेल (karanj oil) का उपयोग कर सकते हैं। इसे दिन में एक या दो बार शरीर पर लगाएं।

एक्सफोलिएशन

इसका सीधा सा अर्थ है त्वचा की बाहरी परत से मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाना और त्वचा के छिद्रों को खोलना। चावल के आटे से बने प्राकृतिक एक्सफोलिएशन स्क्रब का उपयोग करें, इसमें गुलाब जल मिलाएं, इसे चेहरे पर लगाएं, कुछ देर रखें और चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें।

हर्बल फेस मास्क और पैक का उपयोग

आयुर्वेदिक त्वचा देखभाल का एक अभिन्न अंग हर्बल फेस पैक या मास्क का अनुप्रयोग है। चंदन और एलोवेरा जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में शीतलता और जीवाणुरोधी गुण होते हैं। चंदन पाउडर में एलोवेरा जेल मिलाएं और फेस पैक तैयार करें। रोमछिद्रों को साफ करने और मुंहासों को रोकने के लिए इसे चेहरे पर लगाएं। त्वचा के फोड़े-फुंसियों और त्वचा रोगों के लिए आप पुनर्वसु का दशांग लेप लगा सकते हैं।

आयुर्वेदिक मालिश

नियमित मालिश से रक्त परिसंचरण और लसीका जल निकासी में सुधार होता है। तिल के तेल का उपयोग करें, जो त्वचा को पोषण देता है, मन को शांत करता है, तनाव से राहत देता है और संपूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करता है। त्वचा पर मुंहासों और काले धब्बों के लिए पुनर्वसु का कुमकुमादि तेल लगाएं। कुमकुमादि तेल त्वचा की सुंदरता बढ़ाने के लिए एक उत्तम आयुर्वेदिक प्रोडक्ट (ayurveda beauty products) है। यह तेल आपकी त्वचा को साफ करता है और उसका निखार बढ़ाता है।

हर्बल सप्लीमेंट का सेवन

आयुर्वेदिक सप्लीमेंट मानसून के दौरान त्वचा को स्वस्थ बनाता है। अपनी त्वचा के अनुसार हर्बल सप्लीमेंट के सेवन के व्यक्तिगत सुझावों के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें। हल्दी और नीम अपने विषहरण, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और त्वचा-पौष्टिक गुणों के लिए जानी जाती हैं। सुबह हल्दी वाले दूध का या नीम के रस का सेवन करें। आप सोरायसिस, त्वचा की एलर्जी और खुजली के लिए पुनर्वसु की बृहत मंजिष्ठादि घनवटी ले सकते हैं।

मानसून में आहार परिवर्तन

स्वस्थ जीवनशैली के निर्माण के लिए संतुलित आहार आवश्यक है। मानसून में, आहार की दिनचर्या बदलने से त्वचा की बीमारियों से निपटने में मदद मिलती है और त्वचा को संक्रमण और एलर्जी से बचाया जा सकता है। आइए देखें कि मानसून के मौसम में स्वस्थ त्वचा के लिए आहार में क्या बदलाव करने चाहिए।

त्वचा के लिए मानसून में सब्जियों का सेवन

  • पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों में ए, के और सी जैसे विटामिन होते हैं, जो कोशिका पुनर्जनन में मदद करते हैं और त्वचा को हाइड्रेटेड और स्वस्थ रखते हैं। इसका सेवन सूप या जूस के रूप में करें।
  • मेथी की पत्तियां या मेथी भाजी में सूजन-रोधी गुण हैं, यह मुँहासे और त्वचा की जलन को कम करने में लाभदायी हैं।
  • सलाद के रूप में खीरे और टमाटर को अपने आहार में शामिल करें। ये आपकी त्वचा को हाइड्रेटेड रखने और यूवी क्षति से बचाने में मदद करते हैं।

बरसात के दिनों में त्वचा के लिए फलों का सेवन करें

  • त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अपने आहार में फलों को शामिल करने की सलाह दी जाती है। मौसम्बी और संतरे जैसे खट्टे फल विटामिन C से भरपूर होते है। यह फल कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देते हैं और त्वचा को चमकदार बनाए रखते हैं।
  • मानसून के दौरान सेब, केला, अनार और पपीता का सेवन करना चाहिए। ये फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। यह मुंहासों से लड़ने में मदद करते हैं, त्वचा को पोषित और सुडोल रखते हैं और तैलीयपन को कम करते हैं।

त्वचा के पोषण के लिए ड्राई फ्रूट्स

  • त्वचा के स्वास्थ्य के लिए ओमेगा-3 और अन्य पोषक तत्व आवश्यक हैं। अखरोट ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट के उत्कृष्ट प्रदाता हैं, जो आपकी त्वचा को चिकना और चमकदार बनाए रखते हैं।
  • बादाम में विटामिन ई और जिंक होता है। अगर आपकी त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है तो बादाम आपकी त्वचा की देखभाल के लिए एक अच्छा विकल्प है। इसके मॉइस्चराइजिंग गुण आपकी त्वचा को हाइड्रेटेड रखते हुए झुर्रियों और दाग-धब्बों को कम करते हैं।

मसाले जो त्वचा के स्वास्थ्य के लिए लाभदायी हैं

  • अपनी एंटीऑक्सीडेंट गुण के कारण, अदरक त्वचा की सुडोलता और लोच बढ़ाता है और मुक्त कण क्षति के प्रतिरोध में सुधार करता है। इसे किसी भी रूप में अपने आहार में शामिल करें। अदरक के रस को गुलाब जल और नींबू के रस के साथ मिलाकर लगाएं। इससे हल्के हाथों से मसाज करें और बाद में धो लें।
  • काली मिर्च में विषहरण गुण होता है और यह झुर्रियों और त्वचा के रंजकता को कम करता है। दही में एक चुटकी काली मिर्च पाउडर मिलाएँ। इसे अपने चेहरे पर लगाएं और कुछ मिनट बाद धो लें।
  • दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह मुंहासों को कम करता है। दो चम्मच शहद, आधा चम्मच दालचीनी पाउडर और एक चम्मच मेथी पाउडर लें। इसे अच्छे से मिलाएं और मुंहासों और फुंसियों पर लगाएं।

मानसून के दौरान त्वचा की देखभाल के लिए आयुर्वेदिक दिनचर्या का पालन करने से आम त्वचा के रोगों से बचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त, त्वचा की देखभाल के लिए आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स (ayurveda skin care products) का उपयोग करने से भी बहुत लाभ होता है। यह आयुर्वेदिक टिप्स (skin care ayurvedic) बारिशों में त्वचा की नमी को संतुलित करके त्वचा को स्वस्थ और पोषित रखने में लाभदायक हैं। त्वचा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए पुनर्वसु से जुड़ें। पुनर्वसु के आयुर्वेदिक तेल, टैबलेट, चूर्ण और क्वाथ जैसी औषधियाँ आपकी त्वचा को स्वस्थ रखने में सहायता करती हैं।